Monday, February 28, 2011

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी जी से इतनी उमीद थी पर मिला कुछ नहीं ......

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वित्त वर्ष २०११-१२ के लिए सालाना बजट पेश करते हुए आयकर देने वाले तबके को बड़ी राहत देते हुए आयकर से छूट का दायरा १.६० लाख रुपये सालाना की आमदनी से बढ़ाकर १.८० रुपये कर दिया है।

वरिष्ठ नागरिकों को भी वित्त मंत्री ने खुश करने की कोशिश की है। उनकी उम्र की सीमा  ६५ से घटाकर ६० साल कर दी गई है। वहीं, उनकी कर छूट की सीमा बढ़ाकर २.४० लाख रुपये से बढ़ाकर २.५० लाख रुपये सालाना कर दी गई है। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि ऐसे वेतनभोगियों को आयकर रिटर्न फाइल करने से आज़ादी मिलेगी, जिनकी आय का जरिया एक से ज़्यादा नहीं है। टीडीएस देने वालों को आयकर रिटर्न भरने की जरूरत नहीं। वहीं, प्रणब मुखर्जी ने छोटे करदाताओं के लिए 'सुगम' योजना की घोषणा की है।

किसानो और विद्यार्थियों को बहुत ही कम दिए , जिंससे सबसे जायदा उमिंदे होती है किसान जो खेती कर देश का पेट भरता है और वह विद्यार्थि जो पढ़ लिखकर देश की तरकी करेगा, वित्त मंत्री जी ने ना तो किसानो का ध्यान रखा न हीं विद्यार्थियों की दोनों के लोन पर अधिक से अधिक छूट देना चाहिए था लेकिन कुछ नहीं मिला

अपने देश मध्यवर्ग तो सिर्फ वासूली के लिए ही बना है ...........

लेकिन मध्यवर्ग के लिए क्या दिया ?  कुछ नहीं उसे तो दोनों तरफ से मर मिलनी है इतिहास गवाह है की मध्य वर्ग को सोने की मुर्गी की तरह हलाल करते आ रहे है  क्योकि मध्य वर्ग ही ईमानदारी से टैक्स चुकता है मध्यमवर्ग के लिए रियायतें थोड़ी और झटके बड़े हैं। उसके पास कुछ नहीं रहा। 11 हजार करोड़ की मामूली राहत डायरेक्ट टैक्स में दी है। लेकिन इनडायरेक्ट टैक्स के जरिये इतना ही पैसा वापस ले लिया है। राहत मामूली इसलिए कि इस 11 हजार करोड़ को इन टैक्सपेयर पर लाएं तो उसे मासिक 166 से 171 रुपए की बचत ही हो रही है। उसे भी जरूरी चीजों की महंगाई खा जाएगी।

आय कर् छूट‌ की सीमा में 20,000 रुपयॆ की मामूली बढ़ोत्तरी व विभिन्न बचत कटॊतियॊ में भी किसी प्रकार की बढ़ोत्तरी न करनॆ सॆ दॆश कॆ सर्वाधिक ईमान‌दारी सॆ टैक्स दॆनॆ वाला एक बड़ा वर्ग अपनॆ आप कॊ ठ‌गा मह्सूस कर रहा है.आयकर छूट‌ की सीमा 300,000 रुपयॆ व बचत कटॊती की सीमा भी 200,000 रुपयॆ तक बढ़ायॆ जानॆ की उम्मीद‌ इस वर्ग कॊ थी.इस बजट‌ सॆ कर चॊरी मॆ कमी आनॆ की बजाय कर चॊरी और‌ बढ़ॆगी. कर ढ़ाचा इस तरह का हॊना चाहियॆ कि कर दाता स्वॆच्छा सॆ अधिकाधिक कर दॆनॆ मॆ खुशी महसूस करॆ.इसकॆ लियॆ कर स्लैब मॆ बढ़ोत्तरी की जनी चाहियॆ थी. बढ़ती हुई महगाई व मुद्रास्फूर्ति मॆ लगातार व्रिद्धि के कारण आम आदमी कॊ बजट सॆ किसी प्रकार की राहत नही मिलेगी.वरिष्ठ नागरिकों के लिए हुई घोषणाऎ सन्तॊषप्रद है,जब कि अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए हुई घोषणाओं से कॊई व्यावहारिक लाभ हॊनॆ की आशा नही है

उसका फ़ायदा तो सिर्फ पैसा वाले ही उठाते और कर चोरी करते है ,आम आदमी पर बढ़ा सेवा कर का और बोझ, एजुकेशन लोन पर वित्त मंत्री का बेरुखी होना | देश के भविष्य को अंधकार में धकेलने की तरह है कम से कम गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों के बच्चों को ब्याज मुक्त लोन तो  मिले ?

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