Tuesday, March 20, 2012

बहुत दिन नही दूर अब 2014 चुनाव को अगर....

"डूबी है मेरी उंगलिया अपने ही खून में ..
ये कांच के टुकडो पे भरोसे की सजा है …

हम लोग देश के कुछ अच्छे नेताओँ को आपना प्रतिनिधी बना के भेजते है और हर बार ओ दगा दे जाते है और कुछ आपना ईमान बेच के देश के साथ गद्दारी करते देश के विकाश का पैसा अपने विकाश मेँ लगा लेते है....

कुछ ऐसे ही प्रतिनिधी के लिए चंद लाइने है ....

"सफ़र मैं मुश्किलें आयें तो हिम्मत और बढ़ती है...
कोई जब रास्ता रोके तो जुर्रत और बढ़ती है..
अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते हैं दाम अक्सर..
ना बिकने का इरादा हो तो कीमत और बढ़ती है ...!!

" सुप्रभात मित्रों "