Thursday, September 22, 2011

मौत ही सच्ची महबूबा है............

"ज़िन्दगी तो बेवफा है,एक दिन ठुकराएगी,मौत ही एक सच्ची महबूबा है,एक दिन ज़रूर आयेगी"....


तो हम क्यों न मौत के पीछे चले क्योंकि मौत एक अटल सत्य है और उससे इन्सान भाग नहीं सकता...... मौत तो हमारी परछाई है. आज इन्सान इतनी तरक्की कर लिया है,की हर काम मुमकिन कर लिया पर मौत का रहस्य अभी तक जन नहीं पाया......?




एक कब्रिस्तान के बहार बोर्ड पर लिखा था " मंजिल तो मेरी यहाँ थी.... ज़िन्दगी गुज़र गयी मेरी यहाँ तक आने में"

Wednesday, April 27, 2011

Thought of Day

" हम एक अद्भुत दुनिया में रहते हैं कि सौंदर्य, आकर्षण और रोमांच से भरा है. वहाँ रोमांच का कोई अंत नहीं है कि हम कर सकते है सिर्फ अगर हम उन्हें हमारी आँखें खोल के साथ चाहते हैं. "

- जवाहरलाल नेहरू

Tuesday, March 8, 2011

विन्ध्य की राजनीति को बहुत बड़ी छाति..............

विन्ध्य की राजनीति को बहुत बड़ी छाति है, विन्ध्य का पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित है, वे विन्ध्य राजनीति के चाणक्य और योग्य प्रशासक थे। उन्हो ने सदा ही गरीबों के हित में सोचा और उसे पूरा भी किया, वो तो गरीबों के मसीहा थे, उन्होंने पक्ष और बिपक्ष नसीहत देने में कभी भी कोताहि नहीं कि सदा सकारात्मक राजनीति की|

अब कौन करेगा विंध्य की बात
हालांकि विंध्य के कई मुद्दे अब कोसों दूर रह गए है, लेकिन अब इस क्षेत्र में ऐसा एक भी व्यक्ति नहीं बचा है,जिसमें इस मुद्दे को आगे ले जाने की राजनीतिक इच्छाशक्ति और दमखम हो।

अब विंध्य कौन संभालेगा विरासत ?...........

Monday, February 28, 2011

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी जी से इतनी उमीद थी पर मिला कुछ नहीं ......

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वित्त वर्ष २०११-१२ के लिए सालाना बजट पेश करते हुए आयकर देने वाले तबके को बड़ी राहत देते हुए आयकर से छूट का दायरा १.६० लाख रुपये सालाना की आमदनी से बढ़ाकर १.८० रुपये कर दिया है।

वरिष्ठ नागरिकों को भी वित्त मंत्री ने खुश करने की कोशिश की है। उनकी उम्र की सीमा  ६५ से घटाकर ६० साल कर दी गई है। वहीं, उनकी कर छूट की सीमा बढ़ाकर २.४० लाख रुपये से बढ़ाकर २.५० लाख रुपये सालाना कर दी गई है। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि ऐसे वेतनभोगियों को आयकर रिटर्न फाइल करने से आज़ादी मिलेगी, जिनकी आय का जरिया एक से ज़्यादा नहीं है। टीडीएस देने वालों को आयकर रिटर्न भरने की जरूरत नहीं। वहीं, प्रणब मुखर्जी ने छोटे करदाताओं के लिए 'सुगम' योजना की घोषणा की है।

किसानो और विद्यार्थियों को बहुत ही कम दिए , जिंससे सबसे जायदा उमिंदे होती है किसान जो खेती कर देश का पेट भरता है और वह विद्यार्थि जो पढ़ लिखकर देश की तरकी करेगा, वित्त मंत्री जी ने ना तो किसानो का ध्यान रखा न हीं विद्यार्थियों की दोनों के लोन पर अधिक से अधिक छूट देना चाहिए था लेकिन कुछ नहीं मिला

अपने देश मध्यवर्ग तो सिर्फ वासूली के लिए ही बना है ...........

लेकिन मध्यवर्ग के लिए क्या दिया ?  कुछ नहीं उसे तो दोनों तरफ से मर मिलनी है इतिहास गवाह है की मध्य वर्ग को सोने की मुर्गी की तरह हलाल करते आ रहे है  क्योकि मध्य वर्ग ही ईमानदारी से टैक्स चुकता है मध्यमवर्ग के लिए रियायतें थोड़ी और झटके बड़े हैं। उसके पास कुछ नहीं रहा। 11 हजार करोड़ की मामूली राहत डायरेक्ट टैक्स में दी है। लेकिन इनडायरेक्ट टैक्स के जरिये इतना ही पैसा वापस ले लिया है। राहत मामूली इसलिए कि इस 11 हजार करोड़ को इन टैक्सपेयर पर लाएं तो उसे मासिक 166 से 171 रुपए की बचत ही हो रही है। उसे भी जरूरी चीजों की महंगाई खा जाएगी।

आय कर् छूट‌ की सीमा में 20,000 रुपयॆ की मामूली बढ़ोत्तरी व विभिन्न बचत कटॊतियॊ में भी किसी प्रकार की बढ़ोत्तरी न करनॆ सॆ दॆश कॆ सर्वाधिक ईमान‌दारी सॆ टैक्स दॆनॆ वाला एक बड़ा वर्ग अपनॆ आप कॊ ठ‌गा मह्सूस कर रहा है.आयकर छूट‌ की सीमा 300,000 रुपयॆ व बचत कटॊती की सीमा भी 200,000 रुपयॆ तक बढ़ायॆ जानॆ की उम्मीद‌ इस वर्ग कॊ थी.इस बजट‌ सॆ कर चॊरी मॆ कमी आनॆ की बजाय कर चॊरी और‌ बढ़ॆगी. कर ढ़ाचा इस तरह का हॊना चाहियॆ कि कर दाता स्वॆच्छा सॆ अधिकाधिक कर दॆनॆ मॆ खुशी महसूस करॆ.इसकॆ लियॆ कर स्लैब मॆ बढ़ोत्तरी की जनी चाहियॆ थी. बढ़ती हुई महगाई व मुद्रास्फूर्ति मॆ लगातार व्रिद्धि के कारण आम आदमी कॊ बजट सॆ किसी प्रकार की राहत नही मिलेगी.वरिष्ठ नागरिकों के लिए हुई घोषणाऎ सन्तॊषप्रद है,जब कि अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए हुई घोषणाओं से कॊई व्यावहारिक लाभ हॊनॆ की आशा नही है

उसका फ़ायदा तो सिर्फ पैसा वाले ही उठाते और कर चोरी करते है ,आम आदमी पर बढ़ा सेवा कर का और बोझ, एजुकेशन लोन पर वित्त मंत्री का बेरुखी होना | देश के भविष्य को अंधकार में धकेलने की तरह है कम से कम गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों के बच्चों को ब्याज मुक्त लोन तो  मिले ?

Monday, February 21, 2011

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उपचुनाव से बैख्लाये

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि मध्यप्रदेश के उपचुनावों में कांग्रेस की हार के लिए केवल पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि और भी लोग जिम्मेदार हैं। आज यहां पत्नकारों से अनौपचारिक चर्चा में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्नी शिवराज सिंह ढोंगी हैं। वह कभी बच्चों के मामा बन जाते हैं तो कभी नाना। फिर कभी किसानों को कर्जा माफी के झूठे आश्वासन देने लगते हैं।

अंत्योदय मेलों की नौटंकी करते हैं। प्रदेश सरकार केन्द्र की योजनाओं का श्रेय लेना चाह रही है।
लेकिन कुछ तो कर रहे है आप ने तो १० साल में क्या किया और आप की पार्टी भी ४० से जादा शासन किया तो क्यों नहीं किया प्रदेश बदहाली की दशा में था जनता विकाश मागती और कुछ नहीं  .........

Wednesday, February 16, 2011

विश्‍व कप: प्रदर्शन, सितारे और सटोरिये ...सभी हैं इंडिया के पक्ष में लेकिन..........

विश्‍व कप की प्रबल दावेदार मानी जा रही टीम इंडिया के हौसले बुलंद हैं। पिछले दो अभ्‍यास मैचों में मिली जबरदस्‍त जीत, टीम की मजबूती, ज्‍योतिषियों की भविष्‍यवाणी और सट्टा बाजार का रुख भी टीम इंडिया के पक्ष में है। विशेषज्ञ भी कुछ इस तरह का ही इशारा कर रहे हैं। इस तरह सारी परिस्थितियां भारतीय टीम के पक्ष में हैं और इस पर यदि टीम मैदान में सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन करती है तो टीम इंडिया को 28 साल बाद एक बार फिर विश्‍व विजयी बनने से कोई नहीं रोक सकता।
लेकिन मैच सितारे नहीं खिलाडियों को खेलना है जिस तरह से हमारे तेज गेदबाज की पिटाई हो रही उससे तो पता चल रहा है की हमारे तेज गेदबाज सिर्फ दुलाई के लिए ही बने जो अपने १० ओवर के कोटे को पूरा करना उनकी मजबूरी है, इस तरह कैसे विश्व कप जीतेगे क्या कप्तान साहब पहले ओवर से ही स्पिनरों से गेदबाजी करायेगे और अगर स्पिनरों से ही गेदबाजी करना है तो फास्ट गेदबाज क्या करेगे |
 अभी तक दोनों ही आभ्यास मैचो में अपने किसी  फास्ट गेदबाजो ने कोटे के १० ओवर नहीं फेक नहीं पाए  | मुनाफ और नेहरा की तो हालत ही ख़राब है हर मैच में जम कर रन लुटा रहे है

Monday, February 14, 2011

प्रधानमंत्री जी तो कुम्भकर्ण की नीद सो रहे है ..............प्रधानमंत्री जी अब तो जागो

लगता है की प्रधानमंत्री जी कठपुतली बनकर रह गए है जो कोई भी काम नहीं कर सकते है जब उनके सामने ही २००० करोड़ का घोटाला हो गया तो देश और जगह तो होना स्वाभाविक, देश में बेरोजगारी, महगाई बढती जा रही |  गरीब और गरीब हो रहा है और आमिर तो पूछो  ही नहीं गरीबो का खून चूस रहे| केंद्र सरकार के द्वारा चलाई गई योजनों का फायदा गरीबो को तो कम ही मिल पा रासुकदार लोग जायदा फयदा उठा रहे है |देश के गरीबो का खरबों रूपए विदेशी बैको में जमा है और श्री मान प्रधान मंत्री को पता भी है पर  कुछ नहीं कर रहे है वो तो महाभारत के ध्रितराष्ट्र की तरह अनदेखा कर रहे है चीन द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण के प्रति गंभीर नहीं |वास्तव में केंद्र कब जागेगी  ..........

Sunday, February 13, 2011

प्रणाम भारत भूमि नमामि देवि शारदे

हिन्दुओं के प्राचीनतम धर्मग्रन्थ ऋग्वेद के अध्ययन से प्राय: यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि उसमें इन्द्र, मित्र, वरुण आदि विभिन्न देवताओं की स्तुति की गयी है । किन्तु बहुदेववाद की अवधारणा का खण्डन करते हुए ऋग्वेद स्वयं ही कहता है-
     इन्द्रं मित्रं वरुणमग्निमाहुरथो दिव्य: स सुपर्णो गरुत्मान्
     एकं  सद्  विप्रा बहुधा वदन्त्यग्नि यमं मातरिश्वानमाहु:
(१-१६४-४६)
जिसे लोग इन्द्र, मित्र,वरुण आदि कहते हैं, वह सत्ता केवल एक ही है; ऋषि लोग उसे भिन्न-भिन्न नामों से पुकारते हैं
वास्तविक पुराण तो विभिन्न पन्थों के निर्माण में कहीं खो गया है । किन्तु वास्तविक पुराण के कुछ श्लोक ईश्वर के एकत्व को स्पष्ट करते हैं । यथा :-
सत्त्वं    रजस्तम    इति   प्रकृतेर्गुणास्तै-
र्युक्त:   पर:   पुरुष   एक   इहास्य  धत्ते
स्थित्यादये   हरिविरंचि   हरेति   संज्ञा:
श्रेयांसि तत्र खलु सत्त्ववतनोर्नृणां स्यु:
प्रकृति के तीन गुण हैं :- सत्त्व, रज और तम; इनको स्वीकार करके इस संसार की स्थिति, उत्पत्ति और प्रलय के लिए एक अद्वितीय परमात्मा ही विष्णु , ब्रह्मा और रुद्र - ये तीन नाम ग्रहण करते हैं।
ऊपरी तौर पर यह लगता है कि हिन्दू वैष्णव, शैव, शाक्त, गाणपत्य आदि सम्प्रदायों में बँटा हुआ है किन्तु सत्य यही है कि कर्ता ब्रह्म के किसी विशेषण जैसे विष्णु (सर्वव्यापी ईश्वर), शिव (कल्याणकर्ता ईश्वर), दुर्गा (सर्वशक्तिमान ईश्वर), गणेश (परम बुद्धिमान या सामूहिक बुद्धि का द्योतक ईश्वर) की उपासना ही होती है । इसीलिए हिन्दू विष्णु, शिव, दुर्गा, काली आदि के नाम से बने मन्दिरों में समान श्रद्धा से जाता है
उपनिषदों में एकत्व की खोज के लिए विशेष प्रयत्न किया गया है और यह निष्कर्ष निकाला गया है कि जीवात्मा और परमात्मा में अग्नि की लपट और उसकी चिनगारी जैसा सम्बन्ध है । ईश्वर अलग किसी स्थान पर नहीं बैठा है । उसका वास हमारे हृदय में है, सर्वत्र है । वही सत्य रूप में सर्वत्र प्रकाशित है । परमात्मा ही सब कुछ है; तभी तो उससे प्रार्थना की जाती है :-
    तेजो सि  तेजो  मयि  धेहि,     वीर्यमसि  वीर्य  मयि  धेहि,
    बलमसि  बलं   मयि  धेहि,     ओजोसि  ओजो मयि धेहि
(यजुर्वेद १९-९)
(हे भगवन्! आप तेजस्वरूप हैं, मुझमें तेज स्थापित कीजिए; आप वीर्य रूप हैं, मुझे वीर्यवान् कीजिए; आप बल रूप हैं, मुझे बलवान बनाइए; आप ओज स्वरूप हैं, मुझे ओजस्वी बनाइए।)
वैश्वीकरण पर बल देते हुए कहा गया है :-
      अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्
      उदारचरितानां  तु   वसुधैव  कुटुम्बकम्
(यह अपना है या यह पराया है, यह विचार छोटे मन वालों का है । उदार चरित्र वालों के लिए तो सारी पृथ्वी ही कुटुम्ब है।)
सामाजिक एकता का सन्देश देते हुए कहा गया है :-
सह नाववतु सह नौ भुनुक्तु । सह वीर्य करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु । मा विद्विषावहै । शान्ति: शान्ति: शान्ति:
प्रभु हम परस्पर रक्षा करें, साथ-साथ उपभोग करें, परस्पर सामर्थ्य बढ़ाकर तेजस्वी बनें । विद्या-बुद्धि बढ़ाकर विद्वेष से दूर रहें । इस प्रकार परम शान्ति का वरण करें
सार्वभौम भ्रातृत्व के साथ सार्वभौम कल्याण की कामना की गयी है :-
           सर्वे   भवन्तु   सुखिन:   सर्वे   सन्तु  निरामया:
           सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:ख भाग्भवेत्
सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों, सभी को शुभ दर्शन हों और कोई दु:ख से ग्रसित न हो

Friday, February 11, 2011

पाक की दुखती हुई राग

पाकिस्तान खुद के पाले हुए सांपो से परेशान, जीन आतंकवादियों को पाला आज वोही उसे चैन की रोटी नहीं खाने दे रहे है, किसी ने सही कहा है की :-
"पाल पाल तोही ही होई काल "

क्योंकि साँप को कितना भी दूध पिलाओ वो तो जहर ही निगले गा, पाक की भी वही दासा है जो खुद के बिछाये जाल में फस गया है |

 

 

12 साल के बच्चे ने मारे 31 पाक फौजी