Tuesday, March 20, 2012

बहुत दिन नही दूर अब 2014 चुनाव को अगर....

"डूबी है मेरी उंगलिया अपने ही खून में ..
ये कांच के टुकडो पे भरोसे की सजा है …

हम लोग देश के कुछ अच्छे नेताओँ को आपना प्रतिनिधी बना के भेजते है और हर बार ओ दगा दे जाते है और कुछ आपना ईमान बेच के देश के साथ गद्दारी करते देश के विकाश का पैसा अपने विकाश मेँ लगा लेते है....

कुछ ऐसे ही प्रतिनिधी के लिए चंद लाइने है ....

"सफ़र मैं मुश्किलें आयें तो हिम्मत और बढ़ती है...
कोई जब रास्ता रोके तो जुर्रत और बढ़ती है..
अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते हैं दाम अक्सर..
ना बिकने का इरादा हो तो कीमत और बढ़ती है ...!!

" सुप्रभात मित्रों "

Thursday, January 12, 2012

श्रद्धा और भक्ति विश्वास से होती है प्रताड़ित करके नही !! विश्वास में ही भगवान है

उतिष्ठ उतिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रा जगत्पते...!!

!! सुप्रभातम !!

ॐ !! श्री परमात्मने नमः !!



किसी को किसी में श्रद्धा भक्ति और विश्वास समझाने से हो सकता है लेकिन प्रताड़ित करके या फतवा जारी करके नहीं! सूर्यनमस्कार करने पर फ़तवा जारी करना उनकी मानसिक संक्रिणता है क्योंकि जिस चाँद को देखते है वो भी तो सूर्य के प्रकाश से ही चमकता है! सूर्य के खिलाफ फ़तवा समझ परे है ये तो वाही बात हो गई की जिस डरार (डाली) में बैठे है उसे ही काट रहे है ! क्योंकि सूर्य के बिन जीव की कल्पना कैसे कर सकते है !!
जिव-जंतु, पेड़ पैधे बिन सूर्य के प्रकाश के उन्नति या विकाश नही कर सकते,और रहा हिन्दुओ की बात तो वो सभी को पूज्यते है क्योंकि भगवान तो सभी में है

हरि स्रवत विराजते !!

Thursday, September 22, 2011

मौत ही सच्ची महबूबा है............

"ज़िन्दगी तो बेवफा है,एक दिन ठुकराएगी,मौत ही एक सच्ची महबूबा है,एक दिन ज़रूर आयेगी"....


तो हम क्यों न मौत के पीछे चले क्योंकि मौत एक अटल सत्य है और उससे इन्सान भाग नहीं सकता...... मौत तो हमारी परछाई है. आज इन्सान इतनी तरक्की कर लिया है,की हर काम मुमकिन कर लिया पर मौत का रहस्य अभी तक जन नहीं पाया......?




एक कब्रिस्तान के बहार बोर्ड पर लिखा था " मंजिल तो मेरी यहाँ थी.... ज़िन्दगी गुज़र गयी मेरी यहाँ तक आने में"

Wednesday, April 27, 2011

Thought of Day

" हम एक अद्भुत दुनिया में रहते हैं कि सौंदर्य, आकर्षण और रोमांच से भरा है. वहाँ रोमांच का कोई अंत नहीं है कि हम कर सकते है सिर्फ अगर हम उन्हें हमारी आँखें खोल के साथ चाहते हैं. "

- जवाहरलाल नेहरू

Tuesday, March 8, 2011

विन्ध्य की राजनीति को बहुत बड़ी छाति..............

विन्ध्य की राजनीति को बहुत बड़ी छाति है, विन्ध्य का पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित है, वे विन्ध्य राजनीति के चाणक्य और योग्य प्रशासक थे। उन्हो ने सदा ही गरीबों के हित में सोचा और उसे पूरा भी किया, वो तो गरीबों के मसीहा थे, उन्होंने पक्ष और बिपक्ष नसीहत देने में कभी भी कोताहि नहीं कि सदा सकारात्मक राजनीति की|

अब कौन करेगा विंध्य की बात
हालांकि विंध्य के कई मुद्दे अब कोसों दूर रह गए है, लेकिन अब इस क्षेत्र में ऐसा एक भी व्यक्ति नहीं बचा है,जिसमें इस मुद्दे को आगे ले जाने की राजनीतिक इच्छाशक्ति और दमखम हो।

अब विंध्य कौन संभालेगा विरासत ?...........

Monday, February 28, 2011

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी जी से इतनी उमीद थी पर मिला कुछ नहीं ......

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वित्त वर्ष २०११-१२ के लिए सालाना बजट पेश करते हुए आयकर देने वाले तबके को बड़ी राहत देते हुए आयकर से छूट का दायरा १.६० लाख रुपये सालाना की आमदनी से बढ़ाकर १.८० रुपये कर दिया है।

वरिष्ठ नागरिकों को भी वित्त मंत्री ने खुश करने की कोशिश की है। उनकी उम्र की सीमा  ६५ से घटाकर ६० साल कर दी गई है। वहीं, उनकी कर छूट की सीमा बढ़ाकर २.४० लाख रुपये से बढ़ाकर २.५० लाख रुपये सालाना कर दी गई है। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि ऐसे वेतनभोगियों को आयकर रिटर्न फाइल करने से आज़ादी मिलेगी, जिनकी आय का जरिया एक से ज़्यादा नहीं है। टीडीएस देने वालों को आयकर रिटर्न भरने की जरूरत नहीं। वहीं, प्रणब मुखर्जी ने छोटे करदाताओं के लिए 'सुगम' योजना की घोषणा की है।

किसानो और विद्यार्थियों को बहुत ही कम दिए , जिंससे सबसे जायदा उमिंदे होती है किसान जो खेती कर देश का पेट भरता है और वह विद्यार्थि जो पढ़ लिखकर देश की तरकी करेगा, वित्त मंत्री जी ने ना तो किसानो का ध्यान रखा न हीं विद्यार्थियों की दोनों के लोन पर अधिक से अधिक छूट देना चाहिए था लेकिन कुछ नहीं मिला

अपने देश मध्यवर्ग तो सिर्फ वासूली के लिए ही बना है ...........

लेकिन मध्यवर्ग के लिए क्या दिया ?  कुछ नहीं उसे तो दोनों तरफ से मर मिलनी है इतिहास गवाह है की मध्य वर्ग को सोने की मुर्गी की तरह हलाल करते आ रहे है  क्योकि मध्य वर्ग ही ईमानदारी से टैक्स चुकता है मध्यमवर्ग के लिए रियायतें थोड़ी और झटके बड़े हैं। उसके पास कुछ नहीं रहा। 11 हजार करोड़ की मामूली राहत डायरेक्ट टैक्स में दी है। लेकिन इनडायरेक्ट टैक्स के जरिये इतना ही पैसा वापस ले लिया है। राहत मामूली इसलिए कि इस 11 हजार करोड़ को इन टैक्सपेयर पर लाएं तो उसे मासिक 166 से 171 रुपए की बचत ही हो रही है। उसे भी जरूरी चीजों की महंगाई खा जाएगी।

आय कर् छूट‌ की सीमा में 20,000 रुपयॆ की मामूली बढ़ोत्तरी व विभिन्न बचत कटॊतियॊ में भी किसी प्रकार की बढ़ोत्तरी न करनॆ सॆ दॆश कॆ सर्वाधिक ईमान‌दारी सॆ टैक्स दॆनॆ वाला एक बड़ा वर्ग अपनॆ आप कॊ ठ‌गा मह्सूस कर रहा है.आयकर छूट‌ की सीमा 300,000 रुपयॆ व बचत कटॊती की सीमा भी 200,000 रुपयॆ तक बढ़ायॆ जानॆ की उम्मीद‌ इस वर्ग कॊ थी.इस बजट‌ सॆ कर चॊरी मॆ कमी आनॆ की बजाय कर चॊरी और‌ बढ़ॆगी. कर ढ़ाचा इस तरह का हॊना चाहियॆ कि कर दाता स्वॆच्छा सॆ अधिकाधिक कर दॆनॆ मॆ खुशी महसूस करॆ.इसकॆ लियॆ कर स्लैब मॆ बढ़ोत्तरी की जनी चाहियॆ थी. बढ़ती हुई महगाई व मुद्रास्फूर्ति मॆ लगातार व्रिद्धि के कारण आम आदमी कॊ बजट सॆ किसी प्रकार की राहत नही मिलेगी.वरिष्ठ नागरिकों के लिए हुई घोषणाऎ सन्तॊषप्रद है,जब कि अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए हुई घोषणाओं से कॊई व्यावहारिक लाभ हॊनॆ की आशा नही है

उसका फ़ायदा तो सिर्फ पैसा वाले ही उठाते और कर चोरी करते है ,आम आदमी पर बढ़ा सेवा कर का और बोझ, एजुकेशन लोन पर वित्त मंत्री का बेरुखी होना | देश के भविष्य को अंधकार में धकेलने की तरह है कम से कम गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों के बच्चों को ब्याज मुक्त लोन तो  मिले ?

Monday, February 21, 2011

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उपचुनाव से बैख्लाये

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि मध्यप्रदेश के उपचुनावों में कांग्रेस की हार के लिए केवल पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि और भी लोग जिम्मेदार हैं। आज यहां पत्नकारों से अनौपचारिक चर्चा में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्नी शिवराज सिंह ढोंगी हैं। वह कभी बच्चों के मामा बन जाते हैं तो कभी नाना। फिर कभी किसानों को कर्जा माफी के झूठे आश्वासन देने लगते हैं।

अंत्योदय मेलों की नौटंकी करते हैं। प्रदेश सरकार केन्द्र की योजनाओं का श्रेय लेना चाह रही है।
लेकिन कुछ तो कर रहे है आप ने तो १० साल में क्या किया और आप की पार्टी भी ४० से जादा शासन किया तो क्यों नहीं किया प्रदेश बदहाली की दशा में था जनता विकाश मागती और कुछ नहीं  .........