Thursday, September 22, 2011

मौत ही सच्ची महबूबा है............

"ज़िन्दगी तो बेवफा है,एक दिन ठुकराएगी,मौत ही एक सच्ची महबूबा है,एक दिन ज़रूर आयेगी"....


तो हम क्यों न मौत के पीछे चले क्योंकि मौत एक अटल सत्य है और उससे इन्सान भाग नहीं सकता...... मौत तो हमारी परछाई है. आज इन्सान इतनी तरक्की कर लिया है,की हर काम मुमकिन कर लिया पर मौत का रहस्य अभी तक जन नहीं पाया......?




एक कब्रिस्तान के बहार बोर्ड पर लिखा था " मंजिल तो मेरी यहाँ थी.... ज़िन्दगी गुज़र गयी मेरी यहाँ तक आने में"