Thursday, January 12, 2012

श्रद्धा और भक्ति विश्वास से होती है प्रताड़ित करके नही !! विश्वास में ही भगवान है

उतिष्ठ उतिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रा जगत्पते...!!

!! सुप्रभातम !!

ॐ !! श्री परमात्मने नमः !!



किसी को किसी में श्रद्धा भक्ति और विश्वास समझाने से हो सकता है लेकिन प्रताड़ित करके या फतवा जारी करके नहीं! सूर्यनमस्कार करने पर फ़तवा जारी करना उनकी मानसिक संक्रिणता है क्योंकि जिस चाँद को देखते है वो भी तो सूर्य के प्रकाश से ही चमकता है! सूर्य के खिलाफ फ़तवा समझ परे है ये तो वाही बात हो गई की जिस डरार (डाली) में बैठे है उसे ही काट रहे है ! क्योंकि सूर्य के बिन जीव की कल्पना कैसे कर सकते है !!
जिव-जंतु, पेड़ पैधे बिन सूर्य के प्रकाश के उन्नति या विकाश नही कर सकते,और रहा हिन्दुओ की बात तो वो सभी को पूज्यते है क्योंकि भगवान तो सभी में है

हरि स्रवत विराजते !!